रुड़की,एचआरडीए संयुक्त सचिव के निर्देश के बाद प्राधिकरण द्वारा चलाए गए ध्वस्तीकण अभियान के अंतर्गत प्रथम चरण में भगवानपुर के पुहाना क्षेत्र में दो अवैध फ्लॉटिंग पर ध्वस्तीकण की कार्रवाई की। वहीं, कई अनाधिकृत निर्माण कार्यों पर भी ध्वस्तीकरण की जल्द कार्यवाही की बात कही गई हैl एचआरडीए ने भगवानपुर, झबरेड़ा और रुड़की में अवैध प्लाटिंग को चिन्हित किया गया था। पिछले सप्ताह कार्यालय में संयुक्त सचिव अंशुल सिंह ने सहायक अभियंता डीएस रावत को अनाधिकृत निर्माण और अवैध प्लाटिंग पर कार्रवाई के दिशा निर्देश दिए थे। इसी को लेकर आज एचआरडी के सहायक अभियंता अपनी टीम के साथ भगवानपुर के पुहाना क्षेत्र में पहुंचे। जहां विभाग की ओर से अवैध प्लाटिंग को चिन्हित किया करने के बाद उन्हें नोटिस भी जारी किए थे लेकिन जब उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं दिया गया तो विभाग द्वारा जेसीबी की मदद से फ्लॉटिंग को ध्वस्त किया गयाl कार्रवाई के दौरान अवर अभियंता संजीव अग्रवाल, रवि कुमार, गोविंद सिंह और सौरभ शामिल रहे।
रुड़की कलियर थाना क्षेत्र में आए दिन बदमाशों के द्वारा किसी ना किसी वारदात को अंजाम दे दिया जाता है और वह वारदात को अंजाम देकर आसानी से फरार हो जाते हैं ऐसा ही एक मामला कलियर थाना क्षेत्र में आया है मेहवड़ पुल के समीप कुछ बदमाशों ने रुड़की से लौट रहे अंकुर सैनी पुत्र मांगेराम सैनी के साथ लूटपाट कर डाली, जैसे ही वह मेहवड़ पुल के समीप पहुंचे तो बदमाशों ने अंकुर सैनी की बाईक को टक्कर मारकर नीचे गिरा दिया और तमंचे के बल पर उसकी मोटरसाइकिल लूट कर फरार हो गए इससे पहले भी मेहवड़ पुल के समीप बदमाश कई वारदातों को अंजाम दे चुके हैं लेकिन बावजूद इसके पुलिस वहां पर मौजूद नहीं रहती! रुड़की निवासी दो युवकों के मोबाइल फोन भी बदमाशों ने मेहवड़ पुल के समीप ही लूट लिए थे वह मामला भी अभी तक ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है अब देखना यह होगा आखिरकार कलियर पुलिस किस तरह से बदमाशों को पकड़ कर सलाखों के पीछे भेजती है या फिर बदमाश बेखौफ इस तरह से ही वारदातों को अंजाम देते रहेंगे!
रुड़की, उत्तराखंड की राजनीति में भूचाल लाने वाला बयान जिसमें एक कांग्रेसी नेता के द्वारा कहा गया था कि उत्तराखंड में मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाई जाए विधानसभा चुनाव के दौरान दिए गए इस बयान को बीजेपी ने हाथों-हाथ लिया और चुनाव में भरपूर इसका इस्तेमाल भी किया इस बयान को देने वाले नेता कांग्रेस उत्तराखंड सरकार में पूर्व राज्य मंत्री रहे आकिल अहमद ने आज रुड़की में एक कांफ्रेंस कर कहा कि मैं अपने बयान पर कायम हूं और मैंने विधानसभा 2022 में कांग्रेस से टिकट मांगा लेकिन मुझे टिकट नहीं दिया जिसके बाद मैंने निर्दलीय ही पर्चा दाखिल किया लेकिन कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने मेरा पर्चा वापस करा दिया और मैंने मुस्लिम यूनिवर्सिटी की मांग की थी जिसको लेकर बीजेपी ने काफी हंगामा भी किया मेरे द्वारा कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के सामने एक मांग रखी गई थी कि उत्तराखंड में एक मुस्लिम यूनिवर्सिटी होनी चाहिए बीजेपी ने कहा कि देवभूमि में मुस्लिम यूनिवर्सिटी कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी जिसको बीजेपी ने मुद्दा बनाया और कहा कि कांग्रेस मुसलमानों के वोट बटोर ना चाह रही है कांग्रेसी नेता आकिल अहमद ने कहा कि हमारे द्वारा तो एक साधारण सी मांग की गई थी जिसमें हमने कहा था कि यहां पर शिक्षा के लिए एक शिक्षण संस्थान खोला जाए जिसमें मुस्लिम और सभी धर्म के बच्चे शिक्षा ग्रहण कर सकें! उन्होंने कहा जितनी यूनिवर्सिटी हमारे देश के अंदर हैं उसमें सभी समाज के बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं क्योंकि जिस तरह से यहां पर शिक्षण संस्थानों में फीस बहुत ज्यादा है तो उसको देखते हुए हमारे द्वारा एक मांग की गई थी कि सरकार के द्वारा सरकारी यूनिवर्सिटी खोलें और जिस में सर्व समाज के बच्चे पीस कम होने से पढ़ सकेंगे और सभी बच्चे शिक्षा ग्रहण कर सकें उन्होंने कहा जो कांग्रेस के नेता मेरे ऊपर हार का ठीकरा फोड़ रहे हैं और उन लोगों का कहना है कि मुस्लिम यूनिवर्सिटी के दिए गए बयान के कारण प्रदेश में कांग्रेस हार गई है यह सब गलत है वह लोग पहले अपने गिरेबान में झांके उन नेताओं ने टिकट बेचने का काम किया है और अपने खास लोगों को टिकट बांटने का काम किया है उन्होंने कहा जो निष्ठावान कार्यकर्ता थे जिन लोगों ने 5 साल काम किया उन लोगों को दरकिनार किया गया और ऐसे लोगों को टिकट बांटे गए जो सिर्फ चापलूस थे कांग्रेसी नेता पूर्व राज्य मंत्री आकिल अहमद यहीं नहीं रुके उन्होंने कहा कहीं ना कहीं पैसे लेकर टिकट बांटे गए हैं और इसकी भी जांच होनी चाहिए! मेरे द्वारा कांग्रेस के बड़े नेताओं से यह मांग की गई है कि प्रदेश में एक मुस्लिम यूनिवर्सिटी होनी चाहिए जिसमें कांग्रेस को मेरा सहयोग करना चाहिए अगर पार्टी मेरा सहयोग नहीं करती तो मैं अपने निजी खर्चे से प्रदेश में एक यूनिवर्सिटी बनाऊंगा जिसमें सभी सर समाज के बच्चे शिक्षा ग्रहण कर सकें
रुड़की जब व्यक्ति सरकारी नौकरी करने के लिए किसी विभाग में आवेदन करता है तो उसमें साफ लफ्जो में दर्शाया जाता है कि नौकरी पाने वाला व्यक्ति अपनी तहसील या फिर जिले में कार्य नहीं कर सकता क्योंकि कहीं ना कहीं उसके द्वारा पद का फायदा उठाकर अपने सहयोगी यों को लाभ भी पहुंचाया जाता है इसी को देखते हुए सरकारी विभाग में नौकरी करने वाला व्यक्ति अपनी तहसील या जिले से दूर रहकर ही नौकरी कर पाता है लेकिन रुड़की में तो कुछ और ही देखने को मिल रहा है नलकूप खंड रुड़की में तैनात ज्यादातर अपर सहायक अभियंता( जेई ) अपनी ही तहसील में नौकरी कर रहे हैं और सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अपर सहायक अभियंता अपने पद का दुरुपयोग भी कर रहे हैं उनके द्वारा अपने चहेतों को काम दिए जाने का मामला भी सामने आ रहा है ऐसा ही एक मामला रुड़की में देखने को मिला जो मूल रूप से इमली के रहने वाले हैं जो रुड़की तहसील में आता है लेकिन वह अपर सहायक अभियंता साहब तो सारे नियमों को ताक पर रखकर नौकरी कर रहे हैं क्योंकि जिस तरह से पहले तो वह अपने ही गांव में कार्य कर रहे थे लेकिन जब मामला ने तूल पकड़ा तो उन्होंने वहां से ट्रांसफर लेकर दूसरे गांव में चले गए सूत्र बताते हैं नलकूप खंड रुड़की में तकरीबन ऐसे 10 अपर सहायक अभियंता होंगे जो रुड़की तहसील के रहने वाले हैं और वह रुड़की तहसील में ही नौकरी कर रहे हैं इन लोगों को कहीं ना कहीं राजनीतिक संरक्षण की प्राप्त है क्योंकि बिना राजनीतिक संरक्षण के यह लोग तहसील में नौकरी नहीं कर सकते और इस वजह से नलकूप खंड राजनीति का अखाड़ा भी बना हुआ है क्योंकि किसी अधिकारी की हिम्मत नहीं इनको तहसील से हटाकर किसी और जगह पोस्टिंग कर दें अगर कोई अधिकारी ऐसा करता है तो उस पर बड़े बड़े लोगों के फोन भी तुरंत ही आ जाता है इससे अंदाजा लगाया जा सकता है यह अपर सहायक अभियंता कितनी पावर रखते हैं
अभी हाल ही में नलकूप खंड रुड़की में एक लैपटॉप प्रकरण सामने आया था जिसमें एक अपर सहायक अभियंता ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए बिना लैपटॉप खरीदे ही पेमेंट करा दिया था जब इसकी भनक वहां पर तैनात एसडीओ को लगी तो उन्होंने तुरंत ही एक लेटर जारी कर स्पष्टीकरण मांगा लेकिन स्पष्टीकरण मांगना एसडीओ को इतना महंगा पड़ गया की सूत्र बताते हैं अपर सहायक अभियंता ने आनन-फानन में एक एसोसिएशन की अपनी मीटिंग बुलाकर दबाव बनाने की भी कोशिश की और मीटिंग में कहा गया कि मामला दबा दिया जाए इनको राजनीतिक संगठनों के साथ साथ कई किसान संगठनों का भी समर्थन बताया जाता है क्योंकि कुछ दिन पहले ही एक किसान संगठन ने पूरे मामले को लेकर एक धरना प्रदर्शन भी किया था जो बताया जाता है अपर सहायक अभियंता के पक्ष में अब देखना यह होगा कि आखिरकार यह अधिकारी अपनी ही तहसील में नौकरी करते रहेंगे या फिर किसी दूसरी जगह इन अधिकारियों की तैनाती की जाती है
रुड़की अभी हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने जा रही है वही बात की जाए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी विधानसभा खटीमा से अपना चुनाव तो हार गए लेकिन उनके नेतृत्व में पार्टी ने पूर्ण बहुमत हासिल कर इतिहास भी रच दिया क्योंकि जिस तरह से कहा जाता है उत्तराखंड में सिर्फ एक पार्टी एक ही बार सत्ता में रह सकती है उसी को तोड़ते हुए इस बार बीजेपी ने दूसरी बार सत्ता में वापसी की है जिस तरह से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी विधानसभा खटीमा से चुनाव हारे उनके लिए अब अपनी सीट छोड़ने के लिए कई विधायक तैयार हैं जिसमें अब रुड़की विधायक प्रदीप बत्रा ने भी कह दिया कि मैं अपनी विधानसभा सीट रुड़की से इस्तीफा देकर पुष्कर सिंह धामी को चुनाव लड़ाना चाहता हूं अब यह तो हाईकमान और धामी को देखना होगा!
लेकिन उनकी इस बात का जवाब देते हुए कांग्रेसी नेता सचिन गुप्ता ने सीधे-सीधे मुख्यमंत्री को चुनाव लड़ने का न्योता स्वीकार करने के लिए कह डाला उन्होंने कहा अगर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी रुड़की विधानसभा सीट से चुनाव लड़ते हैं तो वह उनके सामने चुनाव लड़ेंगे अगर हाईकमान ने उन पर भरोसा और विश्वास जताया और मैं उनको दस हजार से अधिक वोटों से हराने का काम भी करेंगे अब देखना यह होगा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी रुड़की से चुनाव लड़ते हैं या फिर वह किसी और सीट से अपनी किस्मत आजमा आएंगे लेकिन कांग्रेसी नेता सचिन गुप्ता ने उनके सामने चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर कर दी है
रुड़की, 11, 03, 2022: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (आईआईटी रुड़की) ने, आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर अरुण के शुक्ला, को बीएसबीई विभाग के ऑडिटोरियम में, खोसला राष्ट्रीय पुरस्कार-2021 (विज्ञान) से सम्मानित किया। यह पुरस्कार आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर, ए के चतुर्वेदी, द्वारा प्रोफेसर अरुण के शुक्ला को जी प्रोटीन- कपल्ड रिसेप्टर्स (जीपीसीआर) की संरचना, कार्य और मॉड्यूलेशन को समझने में दिए उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया गया। डॉ. शुक्ला ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी से बायोटेक्नोलॉजी में मास्टर (एमएससी) डिग्री प्राप्त की है। इसके बाद उन्होंने प्रो. हार्टमट मिशेल (नोबेल पुरस्कार विजेता, 1988) के मार्गदर्शन में जर्मनी के फ्रैंकफर्ट में मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट ऑफ बायोफिजिक्स में डिपार्टमेंट ऑफ़ मॉलिक्यूलर मेम्ब्रेन बायोलॉजी से पीएचडी पूरी की। उन्होंने अपना पोस्ट-डॉक्टोरल रिसर्च यूएसए में प्रो. बॉब लेफकोविट्ज़ (नोबेल पुरस्कार, 2012) और ब्रायन कोबिल्का (नोबेल पुरस्कार, 2012) के साथ किया। डॉ शुक्ला वर्तमान में आईआईटी कानपुर में बायोलॉजिकल साइंसेज और बायोइंजीनियरिंग विभाग में जॉय गिल चेयर प्रोफेसर हैं। उनका रिसर्च प्रोग्राम जी प्रोटीन- कपल्ड रिसेप्टर्स (जीपीसीआर) की संरचना, कार्य और मॉड्यूलेशन को समझने पर केंद्रित है, जो मानव जीनोम में कोशिका सतह रिसेप्टर्स का सबसे बड़ा परिवार है और वर्तमान में उपलब्ध दवाओं में से लगभग आधे का लक्ष्य है। पुरस्कार प्रदान करने पर, आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. अजीत के चतुर्वेदी ने कहा, “मुझे इस बात की बहुत खुशी है कि प्रोफेसर अरुण कुमार शुक्ला विज्ञान श्रेणी में आईआईटी रुड़की के खोसला राष्ट्रीय पुरस्कार के विजेता हैं। वह देश के सबसे प्रतिभाशाली युवा वैज्ञानिकों में से एक हैं, जिन्होंने हमारे शरीर में कोशिकाओं की सतह पर स्थित प्रोटीन के सबसे बड़े वर्ग जी प्रोटीन- कपल्ड रिसेप्टर्स (जीपीसीआर) की संरचना, कार्य और मॉड्यूलेशन को समझने के लिए अपने व्यापक शोध के साथ राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। उनके शोध से कई मानव रोगों के इलाज के लिए न्यूनतम दुष्प्रभावों के साथ नावेल थेराप्यूटिक्स को विकसित करने में मदद मिलेगी।” शोध के निष्कर्षों को स्पष्ट करते हुए, आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर अरुण के शुक्ला ने बताया, “ये जी प्रोटीन-कपल्ड रिसेप्टर्स (जीपीसीआर) लगभग हर शारीरिक प्रक्रिया में जटिल रूप से शामिल होते हैं और फ़िलहाल उपलब्ध दवाओं में से लगभग आधी दवाएं इन रिसेप्टर्स के माध्यम से ही अपना चिकित्सीय प्रभाव डालती हैं। हमारे शोध ने इस बात को स्पष्ट किया है कि चिकित्सकीय रूप से निर्धारित दवाएं कैसे रोगों के साथ परस्पर क्रिया करती हैं और मानव शरीर में उनके (सजातीय) कॉग्नेट रिसेप्टर्स के कार्य को नियंत्रित करती हैं। हमने पहले से अनप्रीशीऐटिड मेकनिज़म की भी खोज की है जिनका उपयोग जीपीसीआर कोशिकाओं के बाहर की जानकारी प्राप्त करने के लिए करते हैं और संदेश को सेल मेम्ब्रेन में प्रसारित करते हैं। अभी हाल ही में, हमने एंटीबॉडी के टुकड़े (फ़्रैगमेन्ट्स) जैसे सिंथेटिक प्रोटीन तैयार किए हैं जिनका उपयोग जीपीसीआर एक्टिवेशन और ट्रैफिकिंग को मॉनिटर करने के लिए किया जा सकता है, और सेलुलर संदर्भ (कॉन्टेक्स्ट) में जीपीसीआर सिग्नलिंग को रीवायर करने के लिए किया जा सकता है।”
हाइड्रोपॉवर : ऊर्जा के डिकार्बोनाइजेशन का सच्चा साथी रुड़की, 09, 03 ,2022 : इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी रुड़की (IIT Roorkee), द्वारा प्रोफेसर अरुण कुमार, डिपार्टमेंट ऑफ हाइड्रो रिन्यूएवेबल एनर्जी को आईआईटी रुड़की स्थित एचआरईडी सभागृह में हाइड्रो रिन्यूएवेबल एनर्जी पुरस्कार प्रदान किया गया। यह पुरस्कार ऐसे शोधकर्ता द्वारा जो कि हाइड्रो रिसोर्स एसेसमेंट, ऑप्टिमाइजेशन, इंटीग्रेशन और नई तकनीकी विकास आदि के क्षेत्र में दिए गए योगदान को मान्यता प्रदान करता है और इसका उत्सव मनाता है। प्रोफेसर अरुण कुमार वर्तमान में आईआईटी रुड़की के डिपार्टमेंट ऑफ हाइड्रो रिन्यूएवेबल एनर्जी में कार्यरत हैं, NEEPCO (नॉर्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पॉवर लिमिटेड) के चेयर प्रोफेसर हैं और इंटरनेशनल हाइड्रो पॉवर एसोसिएशन के बोर्ड मेंबर हैं। वे डिपार्टमेंट ऑफ हाइड्रो रिन्यूएवेबल एनर्जी के संस्थापक वैज्ञानिक हैं और इसके प्रमुख के रूप में 1998 से 2011 तक सेवाएं प्रदान कर चुके हैं। उनके नेतृत्व में डिपार्टमेंट ऑफ हाइड्रो रिन्यूएवेबल एनर्जी का विकास हुआ और यह स्मॉल हाइड्रो पॉवर (SHP) के क्षेत्र में श्रेष्ठता का केंद्र बना और राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठा प्राप्त की। उन्होंने IPCC (जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल) की रिन्यूएवेबल एनर्जी की विशेष रिपोर्ट तैयार करने में योगदान कर सेवाएं प्रदान की। वे एनएचपीसी लिमिटेड के बोर्ड में स्वतंत्र निदेशक भी रहे।
पुरस्कार प्रदान करते हुए आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर अजीत के चतुर्वेदी ने कहा, – “नदियों, झीलों और हाइड्रो पॉवर के पर्यावरण प्रबंधन में गत 40 वर्षों से दिए गए योगदान के लिए प्रोफेसर अरुण कुमार को अत्यधिक प्रशंसा प्राप्त हुई। वे सच्चे अर्थों में यह पुरस्कार प्राप्त करने के लिए हर दृष्टि से अधिकारी हैं। प्रोफेसर अरुण कुमार का यह कार्य भारत सरकार के डिकार्बोनाइजेशन के महत्वपूर्ण लक्ष्य के समानांतर है”।
हाइड्रो पॉवर की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए आईआईटी रुड़की के डिपार्टमेंट ऑफ हाइड्रो रिन्यूएवेबल एनर्जी के प्रोफेसर अरुण कुमार ने कहा, – “राष्ट्रीय स्तर पर गैर जीवाश्म ऊर्जा क्षमता को 2030 तक 500 GW करने का लक्ष्य है तथा ऊर्जा के नए संसाधनों की सहायता से 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन का भी लक्ष्य निर्धारित है, क्योंकि मौसम में उतार-चढ़ाव के कारण ऊर्जा उत्पादन में भारी परिवर्तन हो सकता है। इस प्रकार हाइड्रो प्लान्ट पर आधारित संग्रहण अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इनकी सहायता से हाई वेरिएबल सूर्य और पवन ऊर्जा को एकत्र कर पॉवर सिस्टम से जोड़ा जा सकता है। हाइड्रो पॉवर से विद्युत उत्पादन के अतिरिक्त अनेक लाभ हैं, जिनको ऊर्जा के क्षेत्र में डिकार्बोनाइजेशन के लिए सहभागिता संभव है”।
भ्रष्टाचार दिनों दिन बढ़ रहा है गरीब इंसान भ्रष्टाचार इस आग में जल रहा है।
रुड़की भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सरकार के द्वारा बड़े-बड़े दावे किए जाते है लेकिन यह दावे सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह जाते है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ऐसा ही एक मामला रुड़की नलकूप खंड में सामने आया है जहां अपर सहायक अभियंता के द्वारा दो लैपटॉप खरीदने के लिए आवेदन किया गया था लेकिन लैपटॉप खरीदे गए या नहीं जब इसकी जानकारी एसडीओ साहब को पता मिली तो उन्होंने तुरंत ही अपर सहायक अभियंता को एक नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा जिसमें दर्शाया गया कि आपके द्वारा दो लैपटॉप खरीदने के लिए आवेदन किया गया था लेकिन वे लैपटॉप अभी तक प्राप्त नही हुए। लेकिन कमाल की बात यह है कि उनका भुगतान करा दिया गया था।
जिस तरह से नलकूप खंड रुड़की में लैपटॉप प्रकरण सामने आया है यह विभाग में एक चर्चा का विषय बना हुआ है। अपर सहायक अभियंता ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए दो लैपटॉप के लिए लाखों रुपए की धनराशि प्राप्त की है जिस पर एसडीओ नलकूप रुड़की ने अपर सहायक अभियंता को एक लेटर जारी कर उनका स्पष्टीकरण मांगा जिसमें उनके द्वारा 1 सप्ताह का समय दिया गया था। लेटर की प्रतिलिपि सचिव सिंचाई उत्तराखंड शासन देहरादून को भी भेजी गई थी जिसमें उनके द्वारा दर्शाया गया था कि जो धनराशि अपर सहायक अभियंता ने प्राप्त की है यह कहीं ना कहीं नियम के विरुद्ध भी है इस पर कार्यवाही करते हुए जो धनराशि उनके द्वारा प्राप्त की गई है उसकी वसूली की जाए और इनके विरूद्ध शासन स्तर पर कार्यवाही भी की जाए। क्योंकि यह कहीं ना कहीं राजकीय क्षति है। अब देखना यह होगा आखिरकार अपर सहायक अभियंता के खिलाफ क्या कार्यवाही होती है या फिर पूरा मामला रफा-दफा कर दिया जाएगा।
जब इस विषय पर एसडीओ नलकूप खंड रुड़की से वार्ता की गई तो उन्होंने कहा मेरे द्वारा अपर सहायक अभियंता को लैपटॉप प्रकरण में नोटिस तो भेजा गया है लेकिन मैं इस मामले में बोलने अधिकृत नही हूं आपको इस विषय में बड़े साहब से बात करनी होगी क्योंकि वही इस विषय में आपको सही जानकारी दे पाएंगे । जिस तरह से पहले एसडीम साहब अपर सहायक अभियंता को नोटिस जारी करते है लेकिन बाद में वह उसी नोटिस पर भी बोलने से बचते नज़र आए इससे तो यही साबित होता है कि मामला कहीं ना कहीं अब दबाया जा रहा है।
रुड़की एक तरफ जहां शहर में सीपीयू की कार्यप्रणाली को लेकर हमेशा सवाल उठते रहे हैं वहीं सीपीयू कुछ लोगों के लिए फरिश्ता भी साबित हो रही है ताजा मामला रुड़की का है जहां महाराष्ट्र से आए एक गरीब परिवार को सीपीयू के जवानों ने उस समय बड़ी राहत दी जब वह भूखे प्यासे होकर हरिद्वार से लौट रहे थे पीड़ित दंपत्ति के पास घर लौटने के लिए कोई पैसा नहीं था पीड़ित परिवार का कहना था कि हम हरिद्वार तीर्थ यात्रा के लिए आए थे लेकिन गंगा में स्नान करते समय किसी ने उनका पर्स चोरी कर लिया जिसमें उनके हजारों रुपए मौजूद थे उन्होंने इधर काफी तलाश की लेकिन उनका खोया हुआ सामान वापस नहीं मिला जिसके बाद उन्होंने लोगों से मदद मांगी और उन्हें हरिद्वार से रुड़की तक बस में भेज दिया गया जब वह रुड़की पहुंचे तो सोलानी पार्क के पास सीपीयू को वाहन चेकिंग करते हुए देखा एक उम्मीद की किरण लेकर वह सीपीयू के पास जा पहुंचे जहां उन्होंने मदद की गुहार लगाई इस दौरान सीपीयू के दरोगा मुकेश कुमार और हेड कांस्टेबल मनोज शर्मा ने पीड़ित परिवार की सहायता की और उन्हें रेलवे स्टेशन तक पहुंचाया और उन्हें महाराष्ट्र जाने के लिए टिकट की भी व्यवस्था कराई
मदद मिलने के बाद पीड़ित परिवार ने भी सीपीयू का आभार जताया उन्होंने कहा जिस तरह से इस परेशानी में हमारी सीपीयू ने मदद की है वह हमारे लिए भगवान से कम नहीं है क्योंकि हम लोग काफी परेशानी से गुजरने के बाद हरिद्वार से रुड़की पहुंचे थे और यहां पर हम को पुलिस के द्वारा जो मदद की गई वह अपने आप में एक काबिले तारीफ है
ये दुनिया दिखावे की बनी हुई है, यहां अपने तो असली में है पर उनका अपनापन दिखावे का है।
रिपोर्ट शादाब अली रुड़की
रुड़की एक माता पिता का आपसी विवाद एक तीन दिन की मासूम बच्ची पर इतना भारी पड़ा कि उसकी मां ने बच्ची के पैदा होने के तीन दिन बाद ही उसे छोड़ कर जाने कठिन फैसला कर लिया। कहते है एक मां बाप के लिए उसकी औलाद जिगर का टुकड़ा होती है मां बाप अपनी औलाद के लिए अपनी जिंदगी दाव पर लगा देते है लेकिन अपने बच्चे पर आंच नही आने देते। लेकिन यहां मामला इसका उलट देखने को मिला।
दरअसल पूरा मामला सिविल लाइन कोतवाली क्षेत्र का बताया जा रहा है जहां एक युवक की शादी भगवानपुर थाना क्षेत्र में हुई थी। शादी के कुछ महीने बीत जाने के बाद ही दोनों पति-पत्नी में विवाद होने लगा था लेकिन यह विवाद इतना बढ़ जाएगा शायद इसका अंदाजा किसी को भी नही था। आपको बता दे तीन दिन पहले ही महिला ने एक बच्ची को रुड़की सिविल हॉस्पिटल में जन्म दिया है लेकिन इन तीन दिनों में ऐसा क्या हुआ कि एक मां अपनी नवजात बच्ची को छोड़कर अपने मायके चली गई। दुनिया में बहुत कम ऐसे मां बाप देखने को मिलते है जो अपने आपसी झगड़ो के कारण अपने बच्चों का भविष्य ख़राब कर देते है। इनमें से एक ये भी है जिन्होंने अपने अहंकार के कारण अपनी ही मासूम बच्ची की जिंदगी दाव पर लगा दी। सवाल यही है कि आखिर मां बाप अपनी गलतियों की सज़ा इस मासूम को क्यों दे रहे है। दोनों के आपसी झगड़े में इस तीन दिन की मासूम बच्ची का क्या कसूर था जिसे दुनिया में आते ही मां ने इतनी बड़ी सज़ा सुना दी कि बच्ची को रोता बिलखता छोड़कर मां अपने मायके जा बैठी। अफसोस इस मासूम को क्या पता था कि दुनिया में आते ही इसके हिस्से में मां बाप का दुलार नही बल्कि ठोकरें आयेंगी।
एक तरफ ज़ालिम मां बाप एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए अपना आपसी विवाद सुलझाने को तैयार नही है वहीं दूसरी और नवजात बच्ची का बिना मां के दूध के रो-रोकर बुरा हाल बताया जा रहा है। लेकिन बेबस बच्ची के हालात पर कोई तरस खाने वाला नही है। मासूम का रोना बिलखना मां बाप दोनों को ही नज़र नही आ रहा है।
महिला का अपनी नवजात बच्ची को छोड़कर मायके जाने का मामला पुलिस तक भी जा पहुंचा लेकिन पुलिसकर्मी भी कही ना कही बच्ची को देखकर बेबस नज़र आए। लेकिन मामला जब सिविल लाइन कोतवाली प्रभारी निरीक्षक देवेंद्र चौहान तक पहुंचा तो वह तुरंत ही एक्शन लेते हुए बच्ची को मां तक पहुंचाने में लग गए। उन्होंने भगवानपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत नवजात बच्ची की मां की तलाश शुरू कर दी है। अब महिला किसी मजबूरी के तहत इस बच्ची को भगवान भरोसे छोड़कर गई है या अपनी मर्जी से यह तो जांच के बाद ही साफ हो पाएगा। लेकिन मां के वापस आने तक बच्ची किस हाल में रहेगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।