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रुड़की गंगनहर लोगों के लिए बनी मौत की नहर आए दिन कोई ना कोई नहर में डूब कर गवा देता है अपनी जान !

रिपोर्ट शादाब अली रुड़की

रुड़की शहर वैसे तो शिक्षा नगरी के नाम से जाना जाता है लेकिन शहर के बीचों बीच निकलने वाली गंगनहर भी इस शहर की सुंदरता में चार चांद लगाती है। इसी नहर के कारण रुड़की को मीनी लंदन भी कहा जाता है। लेकिन नहर अब लोगों के लिए मौत की नहर बनती जा रही है। जिस तरह से आए दिन नहर में लोगों के डूबने का सिलसिला जारी है जिसमें ज्यादातर युवक है यह एक चिंता का विषय है। प्रशासन को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है। आए दिन कोई न कोई युवक नहर में डूब कर अपनी जान गवा देता है वजह चाहे सेल्फी लेना हो या फिर नहर में नहाना। अभी हाल ही में कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश के दो युवकों की नहर में डूब कर मौत हो गई थी इससे पहले भी कई छात्र सेल्फी लेने के चक्कर में अपनी जान गवा चुके है। ऐसा ही एक मामला दिल्ली रोड स्थित एक स्कूल में 11वी कक्षा में पढ़ने वाले युवक का आया है जो छुट्टी लेकर अपने बाल कटाने गया था लेकिन कुदरत को और कुछ ही मंजूर था युवक वापस हॉस्टल न जाकर नहर किनारे चला गया। युवक को नहर में नहाने की ज़िद चढ़ी और नहर में कूद पड़ा उस युवक ने नहर में ऐसी छलांग लगाई कि फिर वापस बाहर न आ सका। युवक नागालैंड का रहने वाला था जिसको ढूंढने के लिए एसडीआरएफ टीम ने भी घंटों मशक्कत की लेकिन युवक का कोई सुराग नहीं लग पाया।

आपको बतादे नहर में डूबने वाले नागालैंड के छात्र के साथी ने बताया कि जब उसका दोस्त नहर में डूब रहा था तो वह उसको बचाने के लिए खूब चीख चिल्ला रहा था लेकिन किसी ने भी उसकी मदद नही की जिसके बाद युवक मदद के लिए स्पोर्ट्स एकेडमी आर्मी पर पहुंचा और उसने वहां पर तैनात जवानों से कहा कि उसका दोस्त नहर में डूब रहा है उसको बचा लीजिए। लेकिन सवाल यही है कि आर्मी एकेडमी से पहले ही जल पुलिस की चौकी पड़ती है क्या जल पुलिस चौकी में तैनात किसी भी पुलिसकर्मी को युवक की चीख-पुकार सुनाई नही दी या फिर वे सुनकर भी सुनना नही चाहते। जल पुलिस की चौकी नहर किनारे इसीलिए बनाई जाती है कि वहां पर तैनात जवान हर वक्त अपनी आंख और कान खुले रखे और होने वाले हादसे को भांपकर लोगों की मदद का प्रयास करे लेकिन रुड़की में इसके उलट ही पूरा मामला दिखाई दे रहा है। जिस तरह से लगातार नहर में डूबने की घटनाएं बढ़ती जा रही है और ज्यादातर घटनाएं जल पुलिस चौकी के आसपास ही होती है लेकिन मौके पर रुड़की की जल पुलिस न बुलाकर ऋषिकेश से एसडीआरएफ की टीम को बुलाया जाता है। ऋषिकेश से टीम को रुड़की आने में कई घंटों का समय लगता है इतने घंटे डूबने वाले के लिए परिजनों की सांसे अटकी रहती है। सवाल यही है कि आख़िरकार कब तक एसडीआरएफ के सहारे डूबने वालों को बचाने का सिलसिला इसी तरह से चलता रहेगा या फिर आला अधिकारी इसका संज्ञान लेते है। क्योंकि हरिद्वार स्थित जल पुलिस की एक यूनिट तैनात है जिस के पास सभी उपकरण मौजूद है लेकिन उसको ना बुला कर सीधा ऋषिकेश से टीम बुलाई जाती है इसके पीछे क्या कारण है यह तो प्रशासन ही साफ कर पाएगा।

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