रिपोर्ट: शादाब अली: रुड़की
रुड़की नगर निगम चुनाव हुए तकरीबन ढाई साल बीत गए हैं और तभी से लगातार महापौर और पार्षदों का विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा पार्षद महापौर पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हैं तो महापौर पार्षदों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हैं वह कहते हैं कि कोई पार्षद तालाब की मिट्टी बेच रहा है तो कोई पार्षद सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे कर रहा है तो कोई पैसे लेकर डील कराने में व्यस्त है ढाई साल बीत जाने के बाद भी रुड़की शहर विकास के लिए तरस रहा है क्योंकि नगर निगम का गठन ही क्षेत्र के विकास के लिए किया गया था लेकिन ऐसा लगता है कि रुड़की नगर निगम का विवादों से गहरा नाता हो गया है आज जब बोर्ड की बैठक शुरू हुई तो वह भी हंगामे के साथ और बैठक में पार्षदों और महापौर ने एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने शुरू कर दिए जिसके बाद बैठक में हंगामा और ज्यादा बढ़ गया और बाद में महापौर भी बैठक से उठकर अपने कार्यालय में चले गए जहां पर उन्होंने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि पार्षद सिर्फ और सिर्फ भ्रष्टाचार करने में व्यस्त हैं उनको शहर के विकास से कोई लेना देना नहीं है उन्होंने कहा एक लीज कराने के एवज में पार्षदों ने आपस में चैटिंग कर ली और वह खुद ही पास कर दी लेकिन ऐसा कोई काम नहीं किया जाएगा जिसमें भ्रष्टाचार हो उन्होंने पूर्व में रहे अधिकारियों पर भी भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए जमकर हमला बोला उन्होंने कहा जिस तरह से पहले अधिकारियों ने पार्षदों के साथ मिलकर जनता के पैसे की लूट की है वह अब आगे नहीं होने देंगे बार-बार बैठक में सिर्फ एक ही मुद्दा रहता है कि पार्षद महापौर पर भ्रष्टाचार की वही पुराने आरोप लगाते हैं और महापौर भी पार्षदों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने में पीछे नहीं रहते आखिरकार ऐसे कैसे रुड़की शहर का विकास हो पाएगा