रिपोर्ट: शादाब अली: रुड़की
रुड़की नगर निगम के द्वारा एक अभियान चलाया हुआ है जिसमें उनके द्वारा आवारा कुत्तों को पकड़कर उनकी नसबंदी की जानी है लेकिन जिस तरह से नगर निगम के द्वारा यह अभियान चलाया जा रहा है यह कहीं ना कहीं बेजुबान जानवर पर अत्याचार साबित हो रहा है ऐसा ही एक मामला वार्ड नंबर 35 मैं देखने को मिला जहां पर कुत्ते पकड़ने का एक पिंजरा रखा गया है लेकिन कमाल की बात तो यह है पिंजरा सुबह से रखा हुआ है और उसमें एक बेजुबान कुत्ता भी बिस्किट के लालच में फस गया लेकिन अभी तक कोई भी पिंजरा रखने वाला व्यक्ति उसको लेने नहीं आया भूखा प्यासा कुत्ता उसमें रोने को मजबूर हो रहा है जब इस विषय पर नगर निगम के अधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने पिंजरा रखने के संबंध में कोई भी सूचना अपने पास होने से मना कर दिया और कहा कि मैं आला अधिकारियों से पूछ कर बताता हूं लेकिन बार-बार पूछे जाने पर भी उसका कोई सही जवाब नहीं मिल पाया जिस तरह से सुबह से कुत्ता पकड़ने का पिंजरा रखा हुआ है और उसमें एक बेजुबान कुत्ता भी फस गया उसका रो-रोकर बुरा हाल है लेकिन उसकी सुध लेने वाला कोई भी कर्मचारी नहीं है इस तरह से तो कहीं ना कहीं इस बेजुबान जानवर पर अत्याचार किया जा रहा है पिंजरे में बंद कुत्ते ने अपने आप को चोटिल भी कर लिया है क्योंकि पिंजरे में बार-बार वह इधर उधर भाग रहा है और बाहर निकलने के लिए उतावला नजर आया लेकिन उसको क्या पता कि वह तो आखिरकार नगर निगम के पिंजरे में फस गया है और वह अपनी मर्जी से पिंजरे के अंदर तो जा सकता है लेकिन बाहर तो वह कर्मचारियों की मर्जी से ही आएगा