रिपोर्ट शादाब अली रुड़की
रुड़की बुधवार को लगने वाला बाजार इस बार भी नहीं लग पाया क्योंकि दुकानदारों का तो यही कहना था कि जो ठेकेदार हैं वह उनसे जबरन ज्यादा पैसे ले रहा है और वह किसी कीमत पर ज्यादा पैसे देने के लिए तैयार नहीं है जिस तरह से ठेकेदार दबंगई दिखाकर भोले भाले दुकानदारों से मोटी रकम लेते हैं बाजार में दुकाने लगाने वालों ने बताया कि ठेकेदार उनसे ज्यादा पैसे लेना चाहता है
वहीं दूसरी और ठेकेदारों का अपना एक अलग ही तर्क है कि वह इन दुकानदारों से ज्यादा पैसे नहीं ले रहा बल्कि जो सरकारी रेट है उससे भी आधे पैसे दुकानदारों से लिए जा रहे है कमाल की बात तो यह है कि ऐसा कौन व्यक्ति हो सकता है जो निर्धारित की गई धनराशि में से भी आधे पैसे लेने के लिए तैयार हो लेकिन दुकानदार तो आधे पैसे देने को भी राजी नहीं है
इस बार जो बुध बाजार का ठेका छोड़ा गया वह किसी और के नाम है और जो इस बुध बाजार से पैसा इकट्ठा कर रहे हैं वह लोग ज्यादातर मुजफ्फरनगर के रहने वाले हैं क्योंकि पिछली बार भी यह ठेका इन लोगों के नाम ही हुआ था इस बार दूसरे किसी व्यक्ति के नाम बुध बाजार का ठेका कर दिया जब इन मुजफ्फरनगर के ठेकेदारों को इस बार बुध बाजार का ठेका हुआ ही नहीं तो यह क्यों दुकानदारों से जबरन वसूली कर रहे हैं दुकानदारों का तो यहां तक कहना है कि जब वह लोग पैसे लेने आते हैं कुछ पैसों की कमी पड़ जाती है तो उन लोगों को डराया धमकाया और गाली गलौज भी की जाती है यहां तक कि उनका सामान ले जाने की धमकी भी दी जाती है
आखिरकार नुकसान के बावजूद भी बुध बाजार के ठेके को क्यों चलना चाहते हैं ठेकेदार जब बुधवार के दिन लगने वाले बाजार में कोई प्रॉफिट और कोई फायदा ही नहीं तो फिर भी क्यों चलना चाहते हैं इस बुध बाजार के ठेके को ठेकेदार सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस बार यह बुध बाजार का ठेका अधिकारियों से मिली भगत कर जनवरी में ही गुपचुप तरीके से छोड़ दिया गया क्योंकि यह बुध बाजार का ठेका हर बार मार्च में किया जाता है लेकिन ठेकेदारों की अधिकारियों से मिली भगत के चलते इस बुध बाजार के ठेके को जनवरी माह में ही छोड़ दिया गया और फिर से उन लोगों ने ही दुकानदारों से पैसा इकट्ठा करना शुरू कर दिया जो लोग पिछले साल लगातार इन लोगों से पैसा इकट्ठा कर रहे थे जब किसी और के नाम ठेका है तो यह मुजफ्फरनगर के लोग क्यों भोले भाले दुकानदारों को दबंगई दिखाकर पैसा इकट्ठा कर रहे हैं यह भी अपने आप में एक सवाल खड़ा करता है इस बार भी जो बुध बाजार में लोग पहुंचे वह भी ज्यादातर बाहर के बताए जा रहे हैं और जिस व्यक्ति के नाम बुध बाजार का ठेका छोड़ा गया वह व्यक्ति दूर-दूर भी नजर नहीं आ रहा था क्या सिर्फ दिखाने के लिए ही उसे व्यक्ति के नाम इस्तेमाल किया गया है