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आईआईटी रूड़की में हुआ 62वें सालाना लेबर इकोनोमिक कॉन्फ्रैन्स का आयोजन

रूड़की, 12 अप्रैल, 2022: इंडियन सोसाइटी ऑफ लेबर इकोनोमिक्स द्वारा 11 अप्रैल को 2022 को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेकनोलॉजी रूड़की (आईआईटी रूड़की) में इंडियन सोसाइट ऑफ लेबर इकोनोमिक्स का आयोजन किया गया। पूर्व आईएलओ अधिकारी, अन्तराष्ट्रीय स्तर पर विख्यात प्रोफेसर कृष्णामूर्ति ने भातरीय श्रम अध्ययनां के बारे में चर्चा की जो श्रम एवं रोज़गार संबंधी मुद्दों में सक्रिय रहे हैं और उनमें योगदान देते रहें हैं। देष औरदुनिया भर से तकरीबन 500 प्रतिनिधत सम्मेलन में भौतिक रूप से हिस्सा ले रहे हैं, इनमें जाने-माने स्कॉलर्स, नीति निर्माता, व्यापार संघों के प्रतिनिधि और अन्य पेशेवर शामिल हैं तीन दिनों के दौरान 37 तकनीकी सत्रों में सम्मेलन के 3 विषयों पर लगभग 250 पेपर प्रेजे़न्टेशन दिए जाएंगे, 8 पैनल चर्चाओं में लेबर इकोनोमिक्स के मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। ये पैनल चर्चाएं क्षेत्र में सरकारों के द्वारा नीति निर्माण में महत्वपूर्ण साबित होंगी।
सम्मेलन के दौरान प्रोफेसर अजीत कुमार चतुर्वेदी, डायरेक्टर, आईआईटी, रूड़की, उत्तराखण्ड; दीपक नायर, प्रेज़ीडेन्ट, इंडियन सोसाइटी ऑफ लेबर इकोनोमिक्स एवं पूर्व वाईस-चांसलर, दिल्ली युनिवर्सिटी, अलख एन. शर्मा, प्रेज़ीडेन्ट, 62वें आईएसएलई कॉन्फ्रैन्स एडीटर, इंडियन जर्नल ऑफ लेबर इकोनोमिक्स, प्रोफेसर एवं डायरेक्टर, इंस्टीट्यूट ऑफ ह्युमन डेवलपमेन्ट; जे.कृष्णामूर्ति, पूर्व प्रोफेसर, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनोमिक्स एवं पूर्व वरिष्ठ अर्थशास्त्री, आईएलओ; एस.पी. सिंह और फाल्गुनी पटनायक, प्रोफेसर, ह्यमेनिटीज़ एवं सोशल साइन्स विभाग, आईआईटी रूड़की, उत्तराखण्ड और आयोजक सचिव और एसोसिएट ओर्गेनाइज़िंग सचिव, 62वां आईएसएलई सम्मेलन; अमित बसोले, हैड, सेंटर फॉर सस्टेनेबल एम्प्लॉयमन्ट, अज़ीम प्रेमजी युनिवर्सिटी, बैंगलोर; दिलिप रथ, हैड केएनओएमएडी और लीड इकोनोमिस्ट, माइग्रेशन एण्ड रेमिटेन्सेज़ सोशल प्रोटेक्शन एण्ड जॉब्स ग्लोबल प्रेक्टिस, विश्व बैंक, शहारा रज़वी, डायरेक्टर, सामाजिक सुरक्षा विभाग, इंटरनेशनल लेबर ओर्गेनाइज़ेशन, जेनेवा; मेहेह पुदुमजी, चेयरपर्सन, थर्मेक्स लिमिटेड, पुणे; अभिजीत सेन, पूर्व सदस्य, योजना आयोग, भारत सरकार; कमला संकरन, प्रोफेसर, लॉ फैकल्टी, दिल्ली युनिवर्सिटी; इंडिया हरवे, डायरेक्टर और प्रोफेसर ऑफ इकोनोमिक्स सेंटर फॉर डेवलमेन्ट ऑल्टरनेटिव्स, अहमदाबाद, के.पी. कन्नन, फैलो एवं पूर्व निदेशक, सेंटर फॉर डेवपलमेन्ट स्टडीज़, त्रिवेन्द्रम; मरीको आउची, सीनियर टेकनिकल स्पेशलिस्ट ऑन सोशल प्रोटेक्शन डीसेंट वर्क टेकनिकल टीम, आईएलओ, साउथ एशिया; जीमोल उन्नी, प्रोफेसर, अहमदाबाद युनविर्सिटी, अहमदाबाद; टी सुंदररमन, एडजंक्ट प्रोफेसर, जेआईपीएमईआर, इंटरनेशनल स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ, पॉन्डिचैरी; दीपक कुमार सिंह, आईएएस, अपर मुख्य सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन के इन्चार्ज, बिहार सरकार; संतोष मेहरोत्रा, विज़िटिंग प्रोफेसर, सेंटर फॉर डेवलपमेन्ट, बाथ युनिवर्सिटी, यूके और डगमर वॉल्टर, डायरेक्टर, आईएलओ, डीसेन्ट वर्क टेकनिकल टीम सपोर्ट टीम, साउथ एशिया और कंट्री ऑफिस, भारत ने अपने विचार प्रस्तुत किए।

प्रोफेसर अजीत के चतुर्वेदी, डायरेक्टर, आईआईटी रूड़की ने कहा, ‘‘आईआईटी रूड़की को सालाना लेबर इकोनोमिक्स सम्मेलन का आयोजन करते हुए बेहद खुशी का अनुभव हो रहा है। सम्मेलन के दौरान महामारी के बाद के दौरान श्रमिकों के रोज़गार, माइग्रेशन, विकास और उनके हितों की सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा की जाएगी।’

प्रोफेसर अलख एन. शर्मा, प्रेज़ीडेन्ट, 62वें आईएसएलई सम्मेलन ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा, ‘‘युवाओं के बेरोज़गारी की समस्या भारत में बड़ी चुनौती है, खासतौर पर अगर पढ़े लिखे युवाओं को नौकरी न मिले। समय के साथ यह समस्या लगातार बढ़ रही है और वर्तमान में यह आंकड़ा 25 फीसदी है। अगर भारत को 2030 तक सभी को रोज़गार देने के एसडीजी लक्ष्यों को पूरा करना है तो आने वाले सालों में इस मुद्दे को हल करना बहुत ज़रूरी है।’

सोसाइटी के प्रेज़ीडेन्ट प्रोफेसर दीपक नायर ने कहा, ‘‘इंडियन सोसाइटी ऑफ लेबल इकोनोमिक्स, श्रम, रोज़गार एवं विकास के क्षेत्र में सक्रिय अकादमिकज्ञों, शोधकर्ताओं और अन्य हितधारकों का पेशेवर संगठन है। सोसाइटी की स्थापना 1957 में वैज्ञानिक अध्ययन को बढ़ावा देने तथा श्रम बाज़ार, रोज़गार संबंधी विषयों पर जानकारी के प्रसार के लिए की गई।’आईआईटी रूड़की में हुआ 62वें सालाना लेबर इकोनोमिक कॉन्फ्रैन्स का आयोजन रूड़की, 12 अप्रैल, 2022: इंडियन सोसाइटी ऑफ लेबर इकोनोमिक्स द्वारा 11 अप्रैल को 2022 को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेकनोलॉजी रूड़की (आईआईटी रूड़की) में इंडियन सोसाइट ऑफ लेबर इकोनोमिक्स का आयोजन किया गया। पूर्व आईएलओ अधिकारी, अन्तराष्ट्रीय स्तर पर विख्यात प्रोफेसर कृष्णामूर्ति ने भातरीय श्रम अध्ययनां के बारे में चर्चा की जो श्रम एवं रोज़गार संबंधी मुद्दों में सक्रिय रहे हैं और उनमें योगदान देते रहें हैं। देष औरदुनिया भर से तकरीबन 500 प्रतिनिधत सम्मेलन में भौतिक रूप से हिस्सा ले रहे हैं, इनमें जाने-माने स्कॉलर्स, नीति निर्माता, व्यापार संघों के प्रतिनिधि और अन्य पेशेवर शामिल हैं तीन दिनों के दौरान 37 तकनीकी सत्रों में सम्मेलन के 3 विषयों पर लगभग 250 पेपर प्रेजे़न्टेशन दिए जाएंगे, 8 पैनल चर्चाओं में लेबर इकोनोमिक्स के मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। ये पैनल चर्चाएं क्षेत्र में सरकारों के द्वारा नीति निर्माण में महत्वपूर्ण साबित होंगी। सम्मेलन के दौरान प्रोफेसर अजीत कुमार चतुर्वेदी, डायरेक्टर, आईआईटी, रूड़की, उत्तराखण्ड; दीपक नायर, प्रेज़ीडेन्ट, इंडियन सोसाइटी ऑफ लेबर इकोनोमिक्स एवं पूर्व वाईस-चांसलर, दिल्ली युनिवर्सिटी, अलख एन. शर्मा, प्रेज़ीडेन्ट, 62वें आईएसएलई कॉन्फ्रैन्स एडीटर, इंडियन जर्नल ऑफ लेबर इकोनोमिक्स, प्रोफेसर एवं डायरेक्टर, इंस्टीट्यूट ऑफ ह्युमन डेवलपमेन्ट; जे.कृष्णामूर्ति, पूर्व प्रोफेसर, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनोमिक्स एवं पूर्व वरिष्ठ अर्थशास्त्री, आईएलओ; एस.पी. सिंह और फाल्गुनी पटनायक, प्रोफेसर, ह्यमेनिटीज़ एवं सोशल साइन्स विभाग, आईआईटी रूड़की, उत्तराखण्ड और आयोजक सचिव और एसोसिएट ओर्गेनाइज़िंग सचिव, 62वां आईएसएलई सम्मेलन; अमित बसोले, हैड, सेंटर फॉर सस्टेनेबल एम्प्लॉयमन्ट, अज़ीम प्रेमजी युनिवर्सिटी, बैंगलोर; दिलिप रथ, हैड केएनओएमएडी और लीड इकोनोमिस्ट, माइग्रेशन एण्ड रेमिटेन्सेज़ सोशल प्रोटेक्शन एण्ड जॉब्स ग्लोबल प्रेक्टिस, विश्व बैंक, शहारा रज़वी, डायरेक्टर, सामाजिक सुरक्षा विभाग, इंटरनेशनल लेबर ओर्गेनाइज़ेशन, जेनेवा; मेहेह पुदुमजी, चेयरपर्सन, थर्मेक्स लिमिटेड, पुणे; अभिजीत सेन, पूर्व सदस्य, योजना आयोग, भारत सरकार; कमला संकरन, प्रोफेसर, लॉ फैकल्टी, दिल्ली युनिवर्सिटी; इंडिया हरवे, डायरेक्टर और प्रोफेसर ऑफ इकोनोमिक्स सेंटर फॉर डेवलमेन्ट ऑल्टरनेटिव्स, अहमदाबाद, के.पी. कन्नन, फैलो एवं पूर्व निदेशक, सेंटर फॉर डेवपलमेन्ट स्टडीज़, त्रिवेन्द्रम; मरीको आउची, सीनियर टेकनिकल स्पेशलिस्ट ऑन सोशल प्रोटेक्शन डीसेंट वर्क टेकनिकल टीम, आईएलओ, साउथ एशिया; जीमोल उन्नी, प्रोफेसर, अहमदाबाद युनविर्सिटी, अहमदाबाद; टी सुंदररमन, एडजंक्ट प्रोफेसर, जेआईपीएमईआर, इंटरनेशनल स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ, पॉन्डिचैरी; दीपक कुमार सिंह, आईएएस, अपर मुख्य सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन के इन्चार्ज, बिहार सरकार; संतोष मेहरोत्रा, विज़िटिंग प्रोफेसर, सेंटर फॉर डेवलपमेन्ट, बाथ युनिवर्सिटी, यूके और डगमर वॉल्टर, डायरेक्टर, आईएलओ, डीसेन्ट वर्क टेकनिकल टीम सपोर्ट टीम, साउथ एशिया और कंट्री ऑफिस, भारत ने अपने विचार प्रस्तुत किए। प्रोफेसर अजीत के चतुर्वेदी, डायरेक्टर, आईआईटी रूड़की ने कहा, ‘‘आईआईटी रूड़की को सालाना लेबर इकोनोमिक्स सम्मेलन का आयोजन करते हुए बेहद खुशी का अनुभव हो रहा है। सम्मेलन के दौरान महामारी के बाद के दौरान श्रमिकों के रोज़गार, माइग्रेशन, विकास और उनके हितों की सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा की जाएगी।’ प्रोफेसर अलख एन. शर्मा, प्रेज़ीडेन्ट, 62वें आईएसएलई सम्मेलन ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा, ‘‘युवाओं के बेरोज़गारी की समस्या भारत में बड़ी चुनौती है, खासतौर पर अगर पढ़े लिखे युवाओं को नौकरी न मिले। समय के साथ यह समस्या लगातार बढ़ रही है और वर्तमान में यह आंकड़ा 25 फीसदी है। अगर भारत को 2030 तक सभी को रोज़गार देने के एसडीजी लक्ष्यों को पूरा करना है तो आने वाले सालों में इस मुद्दे को हल करना बहुत ज़रूरी है।’ सोसाइटी के प्रेज़ीडेन्ट प्रोफेसर दीपक नायर ने कहा, ‘‘इंडियन सोसाइटी ऑफ लेबल इकोनोमिक्स, श्रम, रोज़गार एवं विकास के क्षेत्र में सक्रिय अकादमिकज्ञों, शोधकर्ताओं और अन्य हितधारकों का पेशेवर संगठन है। सोसाइटी की स्थापना 1957 में वैज्ञानिक अध्ययन को बढ़ावा देने तथा श्रम बाज़ार, रोज़गार संबंधी विषयों पर जानकारी के प्रसार के लिए की गई।’

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देश में डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया जाता है लेकिन अब कुछ लोग इस भगवान को कर रहे बदनाम !

रिपोर्ट: शादाब अली: रुड़की

रुड़की– देश में डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया जाता है क्योंकि एक डॉक्टर किसी भी मरीज़ को अपनी सूझ बूझ से नयी जिंदगी दे सकता है। लेकिन कुछ लोगों ने डॉक्टर के पेशे को बदनाम करने का काम भी किया है इसी के चलते लोगों का अब डॉक्टर रूपी भगवान से भरोसा ही उठ गया है क्योंकि लोगों ने डॉक्टर के पेशे को अब धंधा बना कर रख दिया है चप्पे चप्पे पर अब एक नही कई डॉक्टर बैठे मिल जाते है जिनके पास न तो डॉक्टर की डिग्री होती है और न ही अनुभव, महज़ पैसा कमाने के चक्कर में ये लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रुड़की और आसपास के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अब अस्पताल खोले जा रहे है लेकिन कमाल की बात यह है कि इन अस्पतालों में कोई भी डॉक्टर मौजूद नहीं मिलता ज्यादातर इस तरह के हॉस्पिटल बिना डॉक्टरों के ही संचालित किए जा रहे है जिनका मकसद सिर्फ पैसा कमाना है। कुछ लोग जो किसी डॉक्टर के पास हेल्पर के रूप में काम कर रहे है वे भी अब अपना निजी अस्पताल खोलकर लोगों की जान के साथ खिलवाड़ करते नजर आ रहे है। आपको बता दे यह कोई पहला मामला नही है जो सामने आया है स्वास्थ विभाग ने इस तरह के अस्पतालों पर पहले भी कार्यवाही की है। लेकिन अब रुड़की व आसपास के क्षेत्रों में इस तरह के अस्पताल तेजी से खोले जा रहे है इन अस्पतालों में कुछ लोगों की सांठगांठ के चलते मरीजों को भी भर्ती कराया जा रहा है भर्ती कराए गए मरीज़ से मोटी रकम भी वसूली जाती है।सवाल यही है कि क्या अब इन अस्पतालों की भनक विभाग को नही लग रही है जबकि गली मोहल्लों में इस तरह के क्लीनिकों की भरमार लगी हुई है जो मरीजों से मोटी रकम वसूलने के साथ-साथ उनकी जान से भी खिलवाड़ कर रहे है। समय रहते अगर इन फर्जी डाक्टरों और अस्पतालों पर नकेल नही कसी गई तो बहुत से लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ेगा।

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श्री वैश्य अग्रवाल सभा राजेंद्र नगर की बैठक आयोजित, सभा के प्रचार मंत्री पद पर सुभाष चंद्र अग्रवाल का चयन


रुड़की l श्री वैश्य अग्रवाल सभा राजेन्द्र नगर रुड़की की मासिक बैठक का आयोजन आज सभा की सदस्या श्रीमति ऊषा गुप्ता के श्रीएनक्लेव स्थित आवास पर सम्पन्न हुआ। बैठक का प्रारंभ गायत्री मंत्र के जाप के साथ हुआ। सभा के प्रचार मंत्री पद पर सुभाष चंद्र अग्रवाल का चयन सर्व सहमति से हुआ व सभी सदस्यों ने उनका स्वागत किया। बैठक में वैश्य समाज के उत्थान हेतु विचार विमर्श हुआ जिसमें सभी उपस्थित सदस्यों द्वारा अपने अपने विचार प्रकट किए। चूंकि आज श्री राम नवमी का भी अवसर है, इस उपलक्ष में ऊषा गुप्ता के द्वारा सुंदर भजन का गायन किया गया। शांति पाठ के साथ बैठक का समापन हुआ और सबके मंगल की कामना की गई। इस अवसर पर सभा के संरक्षक जी० डी० गुप्ता, अध्यक्ष डा० अरविंद मित्तल, कोषाधयक्ष एडवोकेट प्रभात अग्रवाल, मंत्री दीपांकर गुप्ता, कुंवर कुलदीप, इंदु देवी, सुरेश शास्त्री, अजय कुमार गुप्ता, नीरज गुप्ता, विशेष कुमार तायल उपस्थित रहे।

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पुरानी तहसील में लगी आग का वीडियो वायरल लोग अपने घरों से चीखते चिल्लाते भागते नजर आ रहे हैं

रिपोर्ट: शादाब अली: रुड़की

रुड़की पुरानी तहसील स्थित अभी दो दिन पहले एक कारखाने में अचानक से देर रात आग लग गई थी आग इतनी भयंकर थी कि दमकल को बुझाने में काफी मशक्कत करनी पड़ी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आग जिस जगह लगी थी वह बहुत ही सक्रिय गली बताई जा रही है जहां पर एक व्यक्ति ने अपना कारखाना बना रखा था अब सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रही है जिसमें लोग अफरातफरी में भागते हुए नजर आ रहे हैं क्योंकि आग जिस जगह लगी थी वह एक बस्ती बताई जा रही है और कारखाने के चारों और घरों की भरमार है कुछ लोग तो अपने घरों की छत से ही आग बुझाने की कोशिश करते नजर आए लेकिन आग ने इतना भयंकर रूप अपना लिया था कि उसको बुझाना मुश्किल होता जा रहा था समय रहते फायर ब्रिगेड ने आग पर काबू तो पा लिया लेकिन जिस तरह से इस कारखाने में आग लगी और आग ने भयंकर रूप अपना लिया गनीमत रही कि इस दौरान आसपास रहने वाले लोगों की जान बच गई क्योंकि वीडियो में साफ सुना जा सकता है कि लोग किस तरह से चीखते चिल्लाते नजर आ रहे हैं यह अपने आप में एक विचलित करने वाला दृश्य है अब देखना यह होगा कि फायर ब्रिगेड इस पर किस तरह का एक्शन लेता है क्योंकि फायर ब्रिगेड को भी पहुंचने में काफी मशक्कत का सामना करना पड़ा गली बहुत ही छोटी बताई जा रही थी लेकिन बावजूद फायर ब्रिगेड ने साहस का परिचय देते हुए आग पर काबू पा लिया

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केन्द्रीय श्रम एवं रोज़गार मंत्री श्री भुपेन्द्र सिंह यादव आईआईटी रूड़की में करेंगे 62वें सालाना लेबर इकोनोमिक कॉन्फ्रैन्स का उद्घाटन आईआईटी रूड़की में होगा 62वें सालाना लेबर इकोनोमिक कॉन्फ्रैन्स का आयोजन

रूड़की, 9 अप्रैल, 2022: केन्द्रीय श्रम एवं रोज़गार मंत्री श्री भुपेन्द्र सिंह यादव इंडियन सोसाइटी ऑफ लेबर इकोनोमिक्स के 62वें सालाना लेबर इकोनोमिक कॉन्फ्रैन्स का उद्घाटन करेंगे, जिसका आयोजन 11-13 अप्रैल 2022 को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी रूड़की (आईआईटी रूड़की) में किया जाएगा। तीन दिवसीय सम्मेलन का आयोजन आईआईटी रूड़की के डिपार्टमेन्ट ऑफ हृमेनिटीज़ एण्ड सोशल साइन्सेज़ द्वारा होगा, इस मौके पर जाने-माने दिग्गज एवं विशेषज्ञ मौजूद रहेंगे।
आईएसएलई के सालाना सम्मेलन का आयोजन 1958 के बाद से हर साल किया जा रहा है। हालांकि कोविड महामारी के चलते 2020 और 2021 में यह आयोजन नहीं हो सका। कोविड के बाद यह देश का सबसे बड़ा अकादमिक आयोजन होगा। इस साल सम्मेलन में चर्चा के विषय होंगे- रोज़गार की चुनौतियां; माइग्रेशन और विकास; तथा श्रमिकों की सुरक्षा। इसके अलावा सम्मेलन से पहले 10 अप्रैल 2022 को ‘कार्य के भविष्य’ विषय पर एक सिम्पोसियम का आयोजन भी किया जाएगा, जिसमें दक्षिणी देशों के प्रख्यात विशेषज्ञ हिस्सा लेंगे।
प्रोफेसर अजीत के चतुर्वेदी, डायरेक्टर, आईआईटी रूड़की ने कहा, ‘‘आईआईटी रूड़की को इस प्रतिष्ठित सालाना सम्मेलन का आयोजन करते हुए बेहद खुशी का अनुभव हो रहा है। हमारे परिसर में आयोजित अस सम्मेलन में जाने-माने अर्थशास्त्री हिस्सा लेंगे, और हमारे अध्यापकों और छात्रों को उनसे बातचीत करने का अवसर मिलेगा।’
प्रोफसर दीपक नायर, प्रेज़ीडेन्ट, इंडियन सोसाइटी ऑफ लेबर इकोनोमिक्स एवं पूर्व वाईस- चांसलर, दिल्ली युनिवर्सिटी ने कहा, ‘‘तकनीक में बदलाव के चलते श्रम के कार्य के भविष्य में नई चुनौतिया उबर रही है, जिनसे निपटने के लिए शिक्षा और कौशल में बदलाव लाना बहुत ज़रूरी है। यह सम्मेलन भारत एवं दुनिया भर के संदर्भ में इन चुनौतियों पर रोशनी डालेगा।’
प्रोफेसर अलख एन. शर्मा, सम्मेलन के प्रेज़ीडेन्ट एवं डायरेक्टर, इंस्टीट्यूट ऑफ हृमन डेवलपमेन्ट, नई दिल्ली ने कहा, ‘‘यह सम्मेन भारत के कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर रोशनी डालेगा और श्रमिकों के लिए रोज़गार सृजन, माइग्रेशन एवं सामाजिक सुरक्षा जैसे पहलुओं पर नीति निर्माण पर चर्चा को बढ़ावा देगा। यह सम्मेलन श्रम, रोज़गार एवं विकास से जुड़े इन सभी मुद्दों के लिए सबसे महत्वपूर्ण मंच है।’
प्रोफेसर एस. पी. सिंह, डिपार्टमेन्ट ऑफ हृमेनिटीज़ एण्ड सोशल साइन्सेज ने कहा, ‘‘यह सम्मेलन अकादमिकज्ञों और नीति निर्माताओं को उत्कृष्ट मंच प्रदान करेगा, जहां उन्हें श्रम से जुड़े मुद्दों और नीतियों पर अपने विचार प्रस्तुत करने का मौका मिलेगा। भारत के बाहर से कई विशेषज्ञों सहित लगभग 500 प्रतिभागी सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। प्लेनेरी एवं टेकनिकल सत्रों के अलावा मैमोरियल लैक्चर्स, पैनल चर्चाएं भी होगी। इसके अलावा ‘उत्तराखण्ड में आजीविकास एवं रोज़गार के सुधार’ पर एक सिम्पोसियम भी सम्मेलन का आकर्षण केन्द्र होगा। यह सिम्पोसियम उत्तराखण्ड के पहाड़ों में आजीविका के विकल्पों की कमी के चलते श्रमिकों के माइग्रेशन के मुद्दे पर रोशनी डालेगा। क्षेत्र से लोगों के माइग्रेशन को रोकने के लिए ज़यरी नीतियों पर चर्चा एवं बहस की आवश्यकता पर ज़ोर देगा।’’

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आईआईटी रुड़की (IIT) और Y. B.(वाय. बी) वैज्ञानिक अनुसंधान एवं विकास (R&D) समाधान संयुक्त रूप से अपशिष्ट पॉलीथीन के पुनर्चक्रण के लिए ‘PRAYASPR’ विकसित किया

रुड़की, 09, 04, 2022: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (IIT रुड़की) और Y. B.(वाय. बी) वैज्ञानिक अनुसंधान एवं विकास समाधान, रुड़की, ने संयुक्त रूप से ‘PRAYASPR’ विकसित किया। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें पर्यावरण के अनुकूल पद्धति से अपशिष्ट पॉलीथीन पैकेट / दूध के पैकेट और तेल के पैकेट द्वारा सीमेंट मुक्त पेवर ब्लॉक और वॉल टाइल्स का उत्पादन किया जाता है। विकास के लिए अपशिष्ट प्लास्टिक का इस्तेमाल एक बाइंडर के रूप में और अपशिष्ट पत्थर की धूल को कुछ विषैले ( Dying) रसायनों के साथ एडिटिव्स (योजक) के रूप में इस्तेमाल किया गया है। ‘PRAYASPR’ तकनीक कंक्रीट पेवर ब्लॉकों से संबंधित CO2 पदचिह्न को लगभग एक तिहाई कम कर देती है। इन उत्पादों में बेहतर इंटरलॉकिंग होने के साथ ये आकर्षक रूप वाले तथा लम्बे चलने वाले होते हैं। ये नॉन-ब्रेकेबल हैं और इनका उचित पुनर्विक्रय मूल्य है।

एक पेवर ब्लॉक तैयार करने के लिए लगभग 250 ग्राम अपशिष्ट प्लास्टिक का उपयोग किया जाता है और 1 वर्ग फुट सतह क्षेत्र को कवर करने के लिए लगभग 1.5 किलोग्राम अपशिष्ट प्लास्टिक की आवश्यकता होती है। पेवर ब्लैक की उत्पादन लागत लगभग 45 रुपये प्रति वर्ग फुट है जो बाजार में उपलब्ध पारंपरिक पेवर ब्लॉक की तुलना में अत्यधिक प्रतिस्पर्धी है। प्रति पीस, उत्पादन मूल्य लगभग 7-8 रुपये है। पेवर ब्लॉकों की तुलना में टाइलें अधिक किफायती होंगी, प्रति वर्ग फुट उत्पादन लागत लगभग 14 रुपये ही होगी। छोटे और बड़े दोनों पैमाने पर उत्पादन मॉड्यूल क्रमशः 25 लाख रुपये और 40 लाख रुपये के प्रारंभिक पूंजी निवेश के साथ उपलब्ध है। छोटे पैमाने के संयंत्रों के लिए पेबैक अवधि क्रमश: 3.5 वर्ष और बड़े पैमाने के संयंत्रों के लिए 2.5 वर्ष है।

टीम के सदस्यों में प्रो. प्रसेनजीत मंडल, श्री हेमंत गोयल, नवनीता लाल, केमिकल इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी रुड़की और श्री यश दुआ, वाई.बी. वैज्ञानिक अनुसंधान एवं विकास समाधान रुड़की, रामनगर शामिल थे।
प्रक्रिया के बारे में बताते हुए, प्रोफेसर, अजीत के चतुर्वेदी, निदेशक, आईआईटी रुड़की, ने बताया, ‘PRAYASPR’ तकनीक आईआईटी (IIT)
रुड़की की एक स्वामित्व वाली तकनीक है। प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम 2021 के अनुसार अपशिष्ट उत्पादकों द्वारा प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन के लिए यह एक आकर्षक विकल्प हो सकता है। ‘PRAYASPR’ की आवश्यकता बताते हुए, यश दुआ, वाई.बी. वैज्ञानिक आर एंड डी सॉल्यूशन रुड़की, रामनगर ने कहा, “भारत में उत्पन्न प्लास्टिक अपशिष्ट वर्ष 2019-20 में 21% से अधिक की वार्षिक वृद्धि के साथ 34 लाख टन के करीब था, साथ ही इस प्लास्टिक कचरे में कम घनत्व वाली पॉलीथीन (एलडीपीई) होती है जो सीवर लाइनों को चोक करके समस्या पैदा करती है। इसके अलावा, भारत में अपशिष्ट प्लास्टिक हानिकारक पर्यावरणीय परिणाम उत्पन्न करने वाली उचित प्रबंधन तकनीकों की कमी के कारण परिदृश्य पर व्यापक रूप से कूड़े का निर्माण करता है। इस प्रकार, अपशिष्ट प्लास्टिक प्रबंधन के लिए एक स्थायी मार्ग की आवश्यकता थी जिसे आईआईटी रुड़की के तत्वावधान में PRAYASPR के साथ समझने का प्रयास किया गया है।”

टीम के सदस्य, प्रो. प्रसेनजीत मंडल, केमिकल इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी रुड़की, ने बताया कि, “तकनीक में टिकाऊपन देने वाले सीमेंट रहित पेवर ब्लॉक के विकास के लिए अपशिष्ट पॉलीथीन पैकेटों का पुनर्चक्रण आवश्यक है। प्लास्टिक के पैकेटों को पहले ग्रेन्यूल्स के रूप में काटा जाता है फिर उन्हें एडिटिव्स के साथ मिश्रित करके नरम करके एक घोल बनाया जाता है, जिसे बाद में ब्लॉक बनाने के लिए हाइड्रोलिक प्रेस में ढाला जाता है। उत्पादों का उपयोग पर्यावरण के अनुकूल तरीके से परिसर, स्मारक परिसर, परिदृश्य, सार्वजनिक उद्यान और पार्क, घरेलू ड्राइव, रास्ते और फर्श की टाइलों के निर्माण में किया जा सकता है”।

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एनएसएस आईआईटी रूड़की ने आयोजित किया सस्टेनेबिलिटी कॉन्क्लेव 2022 उत्तराखण्ड के माननीय मुख्यमंत्री ने टेक सारथी का किया लॉन्च

रूड़की, 8 अप्रैल, 2022: नेशनल सर्विस स्कीम इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी रूड़की (एनएसएस आईआईटी रूड़की) ने आज सस्टेनेबिलिटी कॉन्क्लेव 2022 का आयोजन किया। जिसका विषय था ‘यर्निंग फॉर वायबिलिटी’। जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण संरक्षण, उर्जा संकट और जल की कमी जैसे मुद्दों और इनके समाधानों पर चर्चा करना सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य था। सम्मेलन के माध्यम से ऐसे प्रतिभाशाली दिग्गजों और अनुसंधानकर्ताओं को एक ही मंच पर लाने का प्रयास किया गया, जो इन क्षेत्रों में विशेषज्ञता और दक्षता रखते हैं। सम्मेलन ने मानवमात्र के प्रति समाननता को बढ़ावा देकर सभी के लिए बेहतर एवं स्थायी भविष्य की दिशा में संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में प्रयासों को प्रोत्साहित किया।
कार्यक्रम के दौरान उत्तराखण्ड के माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे। रूड़की के एमएलए श्री प्रदीप बत्रा भी इस अवसर पर माननीय अतिथि के रूप में मौजूद रहे।
इसके अलावा स्वामी यतिन्द्रानंद गिरी, जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर और श्री यतीशवरानंद, पूर्व केबिनेट मंत्री, उत्ततराखण्ड सरकार भी मौजूद थे।
कॉन्क्लेव को सतत विकास के लिए सम्मेलनों में विभाजित किया गया था, जिसके बाद दीर्घकालिक स्थायित्व के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए आधुनिक रणनीतियों पर चर्चा की गई। साथ ही विभिन्न कार्यशालाओं, हैकाथॉन्स, आइडियाथॉन्स, केस स्डटी, पॉलिसी केस प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया गया।
टीएम एसएसएस आईआईटी रूड़की ने सस्टेनेबिलिटी कॉन्क्लेव के लिए अथक प्रयास किए हैं। इसके लिए स्टुडेन्ट वेलफेयर आईआईटी रूड़की के डीन प्रोफेसर मुकेश कुमार बरूआ, एसोसिएटन डीन ऑफ स्टुडेन्ट वैलफेयर प्रोफेसर अनिल कुमार गौरीशेट्टी और उनके फैकल्टी अडवाइज़र प्रोफेसर प्रेमलता जेना का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। कॉन्क्लेव का नेतृत्व महासचिव उज्जवल कुमार और उनकी टीम के द्वारा किया गया, टीम के कुछ सदस्यों में अनुराग सक्सेना, वेदांत मेशरम और रमन यादव शामिल थे। छात्रों ने आयोजन को सफल बनाने के लिए कड़ी मेहनत की। रक्तदान अभियान के लिए वंश रूहेला और कृतिन अग्रवाल ने योगदान दिया और इसे सफल बनाया। साहिल, बलजीत और प्रतीक ने ‘रन फॉर सस्टेनेबिलिटी’ का नेतृत्व किया, इस कार्यक्रम के माध्यम से परिसर में स्थायित्व का संदेश दिया गया।
इसके अलावा स्थापना के 175वें वर्ष के उपलक्ष्य में संस्थान ने टेक सारथी का प्रदर्शन किया, आईआईटी रूड़की की यह पहल रूड़की में और आस-पास के क्षेत्रों में ओद्यौगिक युनिट्स को समर्थन देती है। टेक सारथी योजना का आधिकारिक लॉन्च उत्तराखण्ड के माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने किया, यह पहल उद्योगों को आधुनिक तकनीकी समाधान अपनाने, उनके विकास तथा ‘लोकल टू ग्लोबल’ के लक्ष्यों को साकार करने में मददगार होगी।

इस पहल के तहत ओद्यौगिक युनिट्स की मौजूदा टेक्नोलॉजी के मूल्यांकन, समस्याओं के लिए व्यवहारिक समाधानों की प्रस्तावना पर विचार विमर्श किया जाएगा, इसके लिए विभिन्न सुझाव दिए जाएंगे। तदनुसार उद्योग आधुनिक तकनीकों या स्थायित्व को अपनाकर सुधार ला सकेंगे। आईआईटी रूड़की उद्योग जगत को आई-स्टैम पोर्टल के ज़रिए अपनी आर एण्ड डी सुविधाएं भी उपलब्ध कराएगा। लॉन्च के दौरान प्रोफेसर अक्ष्य द्विवेदी ने टेक सारथी पर एक प्रेज़ेन्टेशन दी, जिसमें हीरो मोटोकोर्प लिमिटेड, रॉकमैन इंडस्ट्रीज़, नैपिनो इंडस्ट्रीज़, एजीआई इंडस्ट्रीज़, रेप्रोग्राफिक्स इंडिया, ज़ेनिथ इंडस्ट्रीज़, ऑक्सो पॉलिमर्स, जयसंशुमेडीकेयर, सेनाटे लेबोरेटरीज़, पेसिफिक डायनामिक्स, फास्ट फार्मा प्रा. लिमिटेड, ईयाप्रो ग्लोबल लिमिटेड के प्रतिनिधि मौजूद थे।
उत्तराखण्ड के माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, ‘‘
प्रोफेसर अजीत के चतुर्वेदी, डायरेक्टर, आईआईटी रूड़की, ने कहा, ‘‘हमें खुशी है कि माननीय मुख्यमंत्री जी ने हमारी दो सबसे मुख्य पहलों का लॉन्च किया है। सस्टेनेबिलिटी कॉन्क्लेव हमारे छात्रों की उल्लेखनीय गतिविधि है, वहीं टेक सारथी एक ऐसी पहल है जो स्थानीय उद्योग को आईआईटी रूड़की से जोड़ती है। उम्मीद है कि टेक सारथी हमारे उद्योग को अपग्रेड करने में क्रान्तिकारी भूमिका निभाएगी।’’
कार्यक्रम का समापन आईआईटी रूड़की के डिप्टी डायरेक्टर प्रोफेसर एम. परीदा द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

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रिश्वत लेते तहसील में एक कर्मचारी को विजिलेंस ने किया गिरफ्तार

रिपोर्ट: शादाब अली: रुड़की

रुड़की तहसील में तैनात एक सरकारी कर्मचारी के द्वारा एक व्यक्ति से रिश्वत मांगना इतना भारी पड़ गया कि उस व्यक्ति ने उसकी शिकायत विजिलेंस देहरादून को कर दी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रुड़की तहसील में कानूनगो की पोस्ट पर तैनात एक कर्मचारी ने एक व्यक्ति से 143 कराने के एवज में रिश्वत की मांग की और रिश्वत न देने पर उसकी 143 करने से मना कर दिया जिसके बाद पीड़ित ने उसकी शिकायत विजिलेंस में की विजिलेंस ने आज रुड़की तहसील में जाल बिछाते हुए कानूनगो को ₹15000 की रिश्वत के साथ गिरफ्तार कर लिया जिसके बाद पूरे तहसील में हड़कंप मच गया जानकारी के अनुसार मंडावली गांव निवासी प्रदीप ने अपनी भूमि किसी को कार्य के लिए किराए पर दी थी कार्य शुरू करने के लिए जमीन की 143 करानी थी लेकिन बताया गया कि 143 करने के लिए कानूनगो के द्वारा रिश्वत की मांग की पीड़ित ने पूरे मामले की शिकायत देहरादून विजिलेंस को कर दी जिसके बाद विजिलेंस ने तहसील में कार्रवाई करते हुए कानूनों को ₹15000 रिश्वत के साथ गिरफ्तार कर लिया तहसील में अभी कानूनगो से पूछताछ की जा रही है जिसके बाद टीम उसको देहरादून ले जाकर आगे की कार्रवाई करेगी इस दौरान तहसील प्रांगण में काफी भीड़ जमा हो गई थी

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खानपुर से पूर्व विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन ने कहा जनता का जनादेश मुझे स्वीकार!

रिपोर्ट: शादाब अली: रुड़की

रुड़की खानपुर से पूर्व विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन आज पत्रकारों से रूबरू होते हुए कहा जनता का जनादेश उनको स्वीकार है बड़ी बेबाकी के साथ उन्होंने कहा पत्रकार और उनका चोली दामन का साथ है जो पिछले दिनों मतभेद हो गए थे वह एक बड़े परिवार में होता रहता है क्योंकि पत्रकार और हम एक ही सिक्के के दो पहलू हैं इसलिए पुराने मतभेद को भुलाकर नए सिरे से आगे बढ़ा जाएगा क्योंकि मैंने कभी भी मन से अपने पत्रकार भाइयों का कोई अपमान नहीं किया है वह कुछ चीजें हो गई थी जिसमें आपसी भाईचारा खराब हो गया था गुस्से में मुंह से कुछ ऐसी चीजें निकल जाती हैं जो निकलनी नहीं चाहिए अगर उस वार्ता के दौरान मेरे कुछ साथी आहत है तो मैं उस बात को लेकर अपने आप भी दुख प्रकट करता हूं क्योंकि आप लोग मेरे भाई हैं आपका सम्मान मेरा सम्मान है और आपका अपमान मेरा अपमान है कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन ने कहा कि खानपुर क्षेत्र से वह अपने आप को हारे हुए नहीं मानते ठीक है राजनीतिक नतीजे कुछ भी हो जाए लेकिन मैं समाजसेवी हूं और समाज सेवा के नाते मुख्य सेवक था और मुख्य सेवक रहूंगा उन्होंने कहा जिस तरह से उनके प्रयासों से रुड़की लक्सर मार्ग बना है वह अपने आप में एक इतिहास है हरिद्वार सांसद रमेश पोखरियाल निशंक जी के प्रयासों से मुझे यह काम करने का अवसर मिला लेकिन जिस तरह से मुझे क्षेत्रवासियों ने कहा कि रोड के और जो नाला बनाया गया है उसमें पानी निकासी हो रहा है तो उन्होंने तुरंत ही नेशनल हाईवे के अधिकारियों को मौके पर बुलाया और कहा कि दो दिन के अंदर यह कार्य पूरा हो जाना चाहिए और हमेशा मैं जनता के लिए 24 घंटे उपलब्ध रहूंगा उन्होंने कहा जिस तरह से रुड़की बस स्टैंड को हरिद्वार में शिफ्ट किया गया उनको जैसी ही इस बात की सूचना मिली उन्होंने तुरंत ही परिवहन मंत्री से वार्ता की और मंत्री ने उनकी बात को सुनते हुए तुरंत ही बस स्टैंड का विलें रुकवाया और अधिकारियों पर नाराज भी हुए यह अगर कोई कह रहा है कि आदेश उनके कहने पर निरस्त हुआ है तो यह सरासर सही नहीं है

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रुड़की बस स्टैंड शिफ्ट का मामला आखिर क्यों नहीं पता चला जनप्रतिनिधियों को!

रिपोर्ट: शादाब अली: रुड़की

रुड़की एक तरफ प्रत्येक राज्य में केंद्र और राज्य सरकार के द्वारा विकास के बड़े-बड़े दावे किए जा रहे है लेकिन उत्तराखंड में उसका उल्टा ही देखने को मिल रहा है जहां एक और सिटी को मॉडल सिटी बनाने की बात की जा रही है और गांव को भी शहर जैसी सुविधा देने की सरकार के द्वारा बात की जाती रही है। वहीं उत्तराखंड सरकार के एक फैसले ने रुड़की व आसपास के क्षेत्रवासियों की निंदे उड़ा कर रख दी है। सरकार ने रुड़की में मौजूद बस स्टैंड को हरिद्वार शिफ्ट करने का निर्णय ले लिया है एक ओर जहां रुड़की को ज़िला बनाने की मांग की जा रही थी ताकि ज़िला बनने के बाद रुड़की में लोगों को सभी सुख सुविधाएं मिल सके। रुड़की में लोगों को सुख सुविधाएं तो क्या मिलती उल्टा यहां पर मौजूद बस स्टैंड को ही सरकार ने हरिद्वार शिफ्ट करने का फैसला ले लिया है। यह फैसला सरकार ने इतनी जल्दबाजी में लिया कि किसी भी जनप्रतिनिधि को इसकी जानकारी नही हो पायी। जब इस फैसले की जानकारी धरातल पर आने के बाद रुड़की व आसपास के क्षेत्र वासियों को मिली तो लोगों को बहुत बड़ा झटका लगा। क्योंकि रुड़की से बस स्टैंड शिफ्ट होने का मतलब यहां के लोगों का दर दर भटकने जैसा ही होगा। बस स्टैंड के रुड़की से शिफ्ट होने के बाद जो परेशानी लोगों को उठानी पड़ेगी शायद इसका अंदाजा सरकार को नही है या फिर उतराखंड सरकार को लोगों की परेशानी का ज्ञान तो बखूबी है लेकिन जानबुझकर अनजान बनी हुई है। क्योंकि सरकार तो आखिर सरकार है सरकार के मंत्री सरकारी गाड़ियों में सफर तय करते है उनको क्या पता आमजन रोजमर्रा की जिंदगी में कितनी कठिनाई झेल कर सफर तय करके अपनी मंजिल तक पहुंचता है। शायद तभी जनता की परेशानी के बारे में न सोचते हुए सरकार ने इतना बड़ा फैसला कर डाला।

वहीं दूसरी ओर कर्मचारी ने सरकार की इस फैसले के विरोध में धरने पर बैठ गए उन्होंने कहा जब तक सरकार अपना फैसला वापस नहीं लेगी तब तक वह लोग धरने पर बैठे रहेंगे क्योंकि सरकार ने कहीं ना कहीं रुड़की की जनता के साथ अनदेखी की क्योंकि यहां पर देहात क्षेत्र के साथ-साथ आईआईटी और अन्य बड़े संस्थान मौजूद हैं जिनमें छात्र छात्राएं शिक्षक ग्रहण करने के लिए आते हैं और उनको यहां से अब आने जाने में बड़ी दिक्कत होगी इसलिए बस अड्डे शिफ्ट करने का फैसला सरकार को जल्द से जल्द वापस लेना चाहिए

इस मौके पर उदयवीर, प्रवीन, विवेक, राज सिंह, राजकुमार, यशपाल राणा, श्रवण गोस्वामी, राजकुमार शर्मा, नरेंद्र, दिनेश कौशिक, राजेंद्र चौधरी, वेदपाल, बच्चन सिंह, आदि लोग मौजूद रहे